हरियाणा

गुरुग्राम के IMT मानेसर में गलत नक्शा पास न करना HSIDC जेई को महंगा पड़ा, फर्जी शिकायत कर   एसीबी से पकड़वाया।

 

 

सत्य ख़बर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज:

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हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में वापस आई भाजपा सरकार प्रदेश से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के दावे तो कई सालों से कर रही है, लेकिन भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर जमकर खेला भाजपा सरकार में हो रहा है। वहीं सरकार द्वारा बनाई गई एंटी करप्शन ब्यूरो में भी भ्रष्टाचार का जमकर बोलबाला हो रहा है, ऐसे ही एक सनसनीखेज मामला गुरुग्राम एंटी करप्शन ब्यूरो का सामने आया है,जिसमें ब्यूरो में कई वर्षों से डेरा जमाएं बैठे अधिकारियों को नजराना ना देना एक आर्किटेक्ट व ड्राफ्टमैन जेई को महंगा पड़ गया।

 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुड़गांव एंटी करप्शन ब्यूरो ने वीरवार को एचएसआईडीसी मानेसर में एक नीरज कुमार अग्रवाल नामक फैक्ट्री मालिक से फर्जी शिकायत लेकर एक आर्किटेक्ट व जेई को नक्शा पास करवाने के बदले में सवा लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया बताया जा रहा है। जबकि कोर्ट में पेश दस्तावेज के अनुसार एक लाख रुपए ड्राफ्टमैन की गाड़ी से आर्किटेक्ट द्वारा रखे गए बताए गए हैं। तथा 73500/- अतिरिक्त गाड़ी से बरामद हुए हैं। वहीं शिकायतकर्ता नीरज अग्रवाल की शिकायत अनुसार बताया गया है कि उसका सेक्टर 8 आईएमटी मानेसर में 241 नंबर प्लॉट है जिस पर वह ऑटो पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग करता है, जिसके फर्स्ट व सेकंड फ्लोर पर एक रूम सितंबर 2024 में कंप्लीट किया है जिस पर सतनारायण मेरे प्लाट पर आया तथा अपने आप को एचएसआईडीसी मानेसर में पद पर होना बताया वह बोला कि जो पीछे टीन शेड डाला हुआ है वह गलत है इसको हटाना पड़ेगा जिस पर शिकायतकर्ता ने हटाने की बात कही, वहीं सतनारायण ने कहा कि 125000 लगेंगे जिसपर मैंने (शिकायतकर्ता) ने कहा कि पैसे का इंतजाम करता हूं जिस पर एचएसआईडीसी कर्मचारी ने कहा कि दीपक आर्किटेक्ट से मिल लेना जिसका ऑफिस आईएमटी मानेसर चौक पर है। जिस पर वह दीपक से मिला और मामले को जल्द सुलझाने की बात करी। लेकिन मामला सुलझाने की बजाय उलझता ही चला गया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने एक फर्जी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो में देकर उपरोक्त दोनों लोगों को जबरदस्ती पैसे देकर विजिलेंस अधिकारियों से साजबाज होकर मामले में फंसवा दिया। वहीं प्रदेश में सत्या परिवर्तन होते ही विजिलेंस विभाग अपनी पीठ थपथपाने के लिए रिश्वत लेने के मामले में दोनों को दबोच लिया। जबकि कोर्ट में पेश दस्तावेज के अनुसार शिकायतकर्ता ने यह भी नहीं बताया कि उसने फाइल अप्रूवल के लिए कब जमा कराई थी,वह भी आर्किटेक्ट के मार्फत जमा कराई थी और किस तारीख को जमा कराई थी । वहीं उसकी साईड पर ड्राफ्टमैन कब गया, उसने अवैध टींन शैड जो गलत बने हुए थे उनको हटाने की बात कही तो उन्होंने क्यों नहीं हटाए और रिश्वत देने की हामी कैसे भर दी, जिससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिकायतकर्ता स्वयं ही दबाव बनाकर अपने गलत काम को ले देकर करवा चाह रहा था। और जब ड्राफ्ट मेन के मना कर दिया तो उसको एसीबी विभाग से मिलकर फर्जी केस में फंसवा दिया, क्योंकि हरियाणा एसीबी अधिकतर मामलों में अपनी पीठ थपथपाने के लिए ऐसे फर्जी केस बनाने में नंबर वन है। गुरुग्राम एसीबी की बात करें तो पिछले 2 साल में कई ऐसे फर्जी मामले जिसमें कोई पुख्ता तथ्य सबूत ना होते हुए भी सरकारी कर्मचारियों पर फर्जी मामले दर्ज किए हैं। वहीं सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि जिन ब्यूरो के अधिकारियों ने यह मामला दर्ज किया है उनको कई दफा दफ्तर में आते-जाते देखा गया हैं। वहीं बताया जा रहा है कि गुरुग्राम सहित पूरे प्रदेश में एचएसवीपी नगर निगम,एचएसआईडीसी व अन्य विभागों द्वारा पास बिल्डिंग व नक्शे पास करने के लिए सरकार ने पोर्टल सुविधा दी हुई है जिसमें कुछ आर्किटेक्ट्स को पंजीकृत किया गया है,जिनके द्वारा ही विभाग से नक्शे पास होकर अनुमति घर, मकान, दुकान,परिसर बनाने की मिलती है।

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जब इस मामले पर एसीबी अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट जानकारी देने से मन कर दिया। वहीं एक डीएसपी ने तो एसपी खट्टर के मोबाइल नंबर होने से ही इनकार कर दिया, जिससे उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका।

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